BILASPUR CG News : फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के सहारे सरकारी नौकरी कर रहे लोगों के खिलाफ अब हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सभी संदिग्ध कर्मचारियों को 20 अगस्त 2025 तक राज्य मेडिकल बोर्ड से दिव्यांगता का अनिवार्य भौतिक परीक्षण कराने के निर्देश कोर्ट ने दिए हैं।
कोर्ट ने कहा है कि जो भी कर्मचारी जांच नहीं कराएंगे, उन्हें स्पष्टीकरण देना होगा कि उन्होंने मेडिकल बोर्ड के समक्ष परीक्षण क्यों नहीं कराया। कोर्ट ने चेताया है कि यदि तय समय सीमा के भीतर जांच नहीं कराई जाती, तो संबंधितों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
हाई कोर्ट ने दिया सख्त निर्देश
हाईकोर्ट ने सभी विभागों के इंचार्ज अधिकारियों को 20 अगस्त को कोर्ट में उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि उनके विभाग में कार्यरत सभी संदिग्ध कर्मचारी निर्धारित तिथि तक मेडिकल जांच कराएं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो संबंधित अधिकारियों की भूमिका भी जांची जाएगी।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सभी विभागाध्यक्षों को 20 अगस्त को कोर्ट में उपस्थित रहना होगा। यदि उनके विभाग के किसी कर्मचारी ने जांच नहीं कराई, तो उन अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी और उन्हें भी जांच के दायरे में लाया जाएगा।
दिव्यांग संघ तीन वर्ष से उठा रहा मुद्दा
CG News, बता दें कि दिव्यांग संघ भी पिछले तीन वर्षों से इस मुद्दे को उठा रहा है। संघ का आरोप है कि कई ऐसे लोग सरकारी नौकरी में चयनित हुए हैं जो असल में दिव्यांग नहीं हैं, लेकिन फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए उन्होंने आरक्षण का लाभ उठाया।
मुंगेली जिले में हुआ था बड़ी कार्यवाही
फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी कर रहे ऐसे 27 अपात्र लोगों को जिला मुंगेली कलेक्टर ने बर्खास्त करने का आदेश हाल ही में दिया था , फर्जी प्रमाण पत्र के जरिये नौकरी कर रहे लोगों के ऊपर बड़ी कार्यवाही हुआ था.
नौकरी पाने की होड में लोग फर्जी दिव्यागता प्रमाण पत्र बनवाने कुछ सालों से होड सी लग गई है, जिससे वास्तविक दिव्यांग नौकरी पाने से वंचित रह जाते है, हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद सभी विभागों में फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी करने वालों के ऊपर बड़ी कार्यवाही हो सकती है।