राज्य को संस्था के माध्यम से 1000 करोड़ का वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा, जो कि 2004 से 2018 के बीच में 10 साल से ज्यादा समय तक किया गया।

राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान अस्पताल के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले पर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता आरोपी अधिकारियों के साथ ही सीबीआई की ओर से बहस पूरी कर ली गई। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। मामले में तत्कालीन चीफ सेक्रेट्री की रिपोर्ट के बाद डिवीजन बेंच ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए घोटाले की सीबीआई जांच कराने का निर्देश दिया था।

हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई जबलपुर ने अज्ञात के खिलाफ अपराध दर्ज मामले की जांच भी शुरू कर दी थी। इसी बीच घोटाले के आरोप में फंसे आईएएस व राज्य सेवा संवंर्ग के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर सीबीआई जांच पर रोक की मांग की थी। प्रकरण की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक लगाते हुए सुनवाई के लिए प्रकरण छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को वापस भेज दिया था। इसके बाद यहां सुनवाई चल रही है।

यह है मामला

रायपुर के कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने छत्तीसगढ़ के कुछ वर्तमान और रिटायर्ड आईएएस अफसरों पर एनजीओ के नाम पर करोड़ों का घोटाला करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की है। याचिका में बताया गया है कि खुद याचिकाकर्ता को एक शासकीय अस्पताल राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान में कार्यरत बताते हुए वेतन देने की जानकारी पहले मिली। इसके बाद उन्होंने आरटीआई के तहत जानकारी ली तो पता चला कि नया रायपुर स्थित इस कथित अस्पताल को एक एनजीओ चला रहा है। जिसमें करोड़ों की मशीनें खरीदी गईं हैं। इनके रखरखाव में भी करोड़ों का खर्च आना बताया गया

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