कोरबा। कोरबा वन मंडल के कोरबा वन परिक्षेत्र में पदस्थ रेंजर मृत्युंजय शर्मा यहां भी अपना कमाल दिखाने से नहीं चूके। इसके पहले कटघोरा वन मंडल के अंतर्गत रेंजर रहते हुए वह तब सुर्खियों में आए जब बांकीमोंगरा की बाँसबाड़ी से 550 नग हरे-भरे बांस को प्रतिबन्ध अवधि में कटवा दिया। इसके बाद बागवानी मिशन की योजना में एक करोड़ से अधिक का उन्होंने प्रमाणित भ्रष्टाचार किया जिसकी रिकव्हरी निकली और कार्रवाई की अनुशंसा की गई। पाली क्षेत्र में पदस्थ रहते हुए वन मार्गो के निर्माण में जमकर घोटाला किया और अब कोरबा रेंज में भ्रष्टाचार का तालाब उन्होंने निर्माण करा दिया है। कैम्पा की राशि में जमकर बंदरबांट हुई है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि वर्षों से अंगद के पांव की तरह जमे एसडीओ आशीष खेलवार की भी इसमें भूमिका हो,अधीनस्थ और भी वन कर्मचारियों अधिकारियों की भूमिका संभावित है, लेकिन इतना तो तय है कि एसडीओ और रेंजर की जुगलबंदी ने सरकार के खजाने में सेंध मेरी है और कैम्पा मद में चूना लगाया है।
यह मामला वन मंडल कोरबा के वन परिक्षेत्र कोरबा अंतर्गत ग्राम पंचायत नकटीखार में बासबाड़ी के पीछे और मेडिकल कॉलेज,झगरहा के सामने का है। यहां छत्तीसगढ़ शासन वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के माध्यम से वन मंडल कोरबा ने तालाब बनाने का काम किया है। तालाब की लागत 23 लाख 55 हजार 625 रुपया बताया जा रहा है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि तालाब बनाने से पूर्व उस जगह पर पहले से नाला बना हुआ था और नाले का उपयोग करते हुए रेंजर ने बड़ी चालाकी से उसे तालाब में तब्दील कर दिया। कार्य अनुरूप तालाब की लंबाई व चौड़ाई 75-75 मीटर होना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। तालाब की गहराई 4 मीटर होनी चाहिए, फिर भी ऐसा नहीं हुआ। तालाब के अंदर काली मिट्टी डालकर धुरमुस चलाना था, पर ऐसा भी नहीं किया गया। तालाब के चारों तरफ 10 परत की सीढ़ी बनानी थी, लेकिन नहीं बनाई गई है। तालाब में पत्थर भी लगाना था, मगर यह भी नहीं लगाया गया। लेबर के माध्यम से भी काम होना था पर ऐसा नहीं हुआ है। सूत्रों की मानें तो तालाब की लागत राशि लगभग 5 से 6 लाख रुपए आई है जबकि लागत राशि 23 लाख 55 हजार 625 रुपया बताया गया है। तालाब निर्माण से पूर्व घना जंगल रहा है। चारों तरफ जंगल ही जंगल अब भी दिखाई दे भी रहा है जिसमें अनगिनत वृक्षों पर अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की आरी चलवाई होगी। निर्माण के वक्त एसडीओ ने निर्माण स्थल का निरीक्षण किया होगा। सूत्रों ने बताया कि तालाब बनाने पर अधिकारियों का कमीशन 35 से 40 प्रतिशत मिट्टी के कार्य में काम होने के बाद लेना बताया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि तालाब का भौतिक सत्यापन होने से कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। तालाब का निर्माणवर्ष 2024 – 25 में होना बताया जा रहा है। प्रदेश में भाजपा की सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे के साथ सुशासन तिहार चला रही है। दूसरी ओर वन विभाग के अधिकारी सुशासन पर बट्टा लगाने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस के शासनकाल में भी मृत्युंजय शर्मा भ्रष्टाचार का खेल खेल रहे थे और अभी वर्तमान में सुशासन व जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने वाली भाजपा सरकार में भी इनका बोलबाला है। मृत्युंजय शर्मा की मनमानी बताती है कि उन्हें सरकार से कोई फर्क नहीं पड़ता और अपने भ्रष्ट कार्यों को अंजाम देते रहेंगे क्योंकि अंजाम को वे मैनेज कर लेते हैं।

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Khem Lal Sahu
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