0 क्या यहां भी रक्तपात कराने पर उतारू हैं चुनिंदा अधिकारी और जनप्रतिनिधि….?

कोरबा। कोरबा जिले में भी प्रदेश के दूसरे जिलों की तरह रेत माफिया हावी हैं। इस बीच उन जिलों में बढ़ती घटनाओं से भय लाजिमी है कि कहीं कोरबा में भी अवैध रेत को लेकर कोई अनहोनी न हो जाए।

पिछली कांग्रेस की सरकार के वक्त जब रेत की कीमतों में आग लगी तो चंद भाजपा नेताओं ने प्रदर्शन किया, सत्ता बदली तो नीम खामोशी के साये में जनता न सिर्फ लुट रही है बल्कि घाटों में सत्ता और संगठन के संरक्षण में लूट मची हुई है। अवैध खनन और परिवहन के काम में लगे लोग इस बात का कोई खौफ नहीं रखते कि वे सीधे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के विभाग (खनिज) में दखल दिए हुए हैं।
कहा जाता है कि सत्ता और संगठन में तालमेल बेहतर हो तो प्रशासन तंत्र लगाम में रहता है किंतु कोरबा जिले में तीनों अपने हिसाब से अपने मनमाफिक जन सरोकारों से परे चल रहे हैं। आलम यह है कि चंद नेता, सँगठन के पदाधिकारी और फिर अपने शीर्ष अधिकारी की नजर में कैसे अच्छा बना जाय,इस पर ज्यादा फोकस रखने वाले ऊपर ही ऊपर देख रहे है। नेता-पदाधिकारी नाराज ना हों, उन्होंने जिस पर हाथ रख दिया, उसका येन-केन-प्रकारेण काम हो,इस उधेड़बुन में चंद अधिकारी लगे ही रहते हैं। यही वजह है कि जिले के घोषित-अघोषित, वैध-अवैध रेत घाटों में माफियाओं का बोलबाला है। शहर के भीतर से लेकर उपनगरों से होते हुए गांवों के अस्वीकृत घाटों में रेत निकालने की होड़ में कई भाजपा से जुड़े नेताओं के लोग हावी हैं। रेत के मामले में अराजकता- सा माहौल कई बार निर्मित हो जाता है। सुशासन की सरकार में भी रेत माफिया हावी हैं और नदियों से बेखौफ चोरी की रेत निकालकर सरकारी निर्माण, औद्योगिक इकाईयों में निर्माण,निजी निर्माण बदस्तूर जारी हैं। सरकार को रेत माफिया लंबे से राजस्व आय का चूना लगा रहे हैं क्योंकि स्थानीय सत्ता और संगठन का उन्हें पूरा संरक्षण है। अधिकारी भी कहने से परहेज नहीं करते कि जब सत्ता-संगठन के लोग ही नहीं चाहते कि रेत चोरी बन्द हो, तो भला हम कितना सख्ती कर लें। कलेक्टर के सख्त निर्देश का पालन करा पाने में टास्क फोर्स पूरी तरह असफल है। अब तो रेत को लेकर आपसी विवाद बढ़ने भी लगे हैं, जिसका उदाहरण कुदुरमाल व कुदमुरा में सामने आया। ताजातरीन घटना में शहर के एक युवा पत्रकार को दिग्गज भाजपा नेता के सामने अवैध रेत कारोबारी द्वारा गोली मार देने की धमकी तक दे दी गई। इसी तरह एक नेता की कलेक्टर से शिकायत हुई है कि खनिज विभाग उसके प्रभाव में है, रायल्टी मांगने पंचायत के लोग जाते हैं तो खनिज विभाग के बाबू कहते हैं कि जान की सलामती चाहते हो तो पूर्व ठेकेदार को ही काम करने दो वरना गोली मार देगा। एक भाजपा नेता और पंच तो रेत के लिए FIR करा बैठे हैं। दूरस्थ गाँव में भी भाजपा नेता कभी उलझते रहे तो कभी खुद धमकी का शिकार होते रहे।

0 सत्ता-संगठन के लोग अपने मे मस्त,जनता में फीलगुड नहीं
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ माना जा रहा था कि बहुत कुछ राहत मिलेगी लेकिन जिले में सत्ता से लेकर संगठन का विकेंद्रीकरण कुछ ऐसा हुआ है कि आम जनता को सरकार जैसा महसूस ही नहीं हो रहा। कई लोग खुलकर तो कई दबी जुबान में कहते हैं कि एक साल से ऊपर हो गया- इस सरकार में मजा ही नहीं आ रहा,सरकार जैसा कुछ लग नहीं रहा, बस भाजपाई नेता, पदाधिकारी महिमा मंडन में लगे हैं और जनता वहीं की वहीं है। तेजतर्रार पदाधिकारी भी पद का रौब दिखाकर अपनी दुकानदारी बढ़ाने में लगे हैं, ठेका लेने और विभागों में दखल बढ़ाने में लगे हैं , इनके लिए जनता की समस्याओं का क्या है,वह तो जिंदगी भर लगा रहेगा…..! लेकिन, इनको अगला 5 साल और संगठन की कुर्सी मिलने पर संशय है।

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Khem Lal Sahu
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